कहानी संग्रह >> एक अपवित्र पेड़ एक अपवित्र पेड़प्रियंवद
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जीवन की विराटता को समेटे हुए अत्यन्त चर्चित और लोकप्रिय कथाकार प्रियंवद का एक महत्वपूर्ण कथा-संग्रह
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
चीख की नोक पर टंगी आत्माएं?... ग्रीक मासलता.... गर्भगृहों की अन्धकार को चीरती नन्ही सी लौ... वृक्ष से टूटती पत्ती की नर्तन- यह सब प्रियंवद की कहानियों के स्वर हैं। जीवन की रहस्यमयताओं को खोलती-ढूढ़ती यह कहानियाँ पाठक को धीरे धीरे अवसाद, प्रेम, प्रकृति, मिथक, मानवीय मूल्यों और व्यवस्थाओं की क्रूर शोषक दुनिया में ले जाती हैं - धीरे धीरे मन की एक एक परत को खोलती और उसके एक एक अंधेरे कोने को टटोलती हुई।
प्रियंवद की इन कहानियों की भाषा में एक नई चमक है - धीरे धीरे खुलती एक कविता गुगुनाते छन्द की तरह। एक ठण्डा अवसाद भी वह पैदा करती है जो चुपचाप वह आत्मा पर परत-दर-परत चढ़ता जाता है। इस संग्रह में संकलित प्रियंवद की कहानियाँ उनकी परिपक्वता, संवेदनशीलता, कल्पना और मानवीय आस्था को उजागर करती हैं।
प्रियंवद की इन कहानियों की भाषा में एक नई चमक है - धीरे धीरे खुलती एक कविता गुगुनाते छन्द की तरह। एक ठण्डा अवसाद भी वह पैदा करती है जो चुपचाप वह आत्मा पर परत-दर-परत चढ़ता जाता है। इस संग्रह में संकलित प्रियंवद की कहानियाँ उनकी परिपक्वता, संवेदनशीलता, कल्पना और मानवीय आस्था को उजागर करती हैं।
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